Sharmishtha
Nominated | Book Awards 2021 | Hindi Fiction
Sharmishtha
शर्मिष्ठा पाण्डवों की पूर्वजा थीं जिनका मौलिक ज़िक्र ब्रह्मपुराण में मिलता है। असुर सम्राट वृषपर्वा की पुत्री शर्मिष्ठा बेहद सुन्दर और प्रतिभाशालिनी थीं। वह देवगुरु बृहस्पति के पुत्र कच, असुर गुरु शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी की हमउम्र थीं और उनकी मित्र भी। इन तीनों की मित्रता गुरु शुक्राचार्य के आश्रम में अध्ययन करते हुए प्रगाढ़ हुई थी जहाँ देवयानी का कच के लिए झुकाव भी उत्पन्न हुआ था। हमउम्री और परिस्थिति ने शर्मिष्ठा और देवयानी के बीच मित्रता के अलावा एक अन्तर्निहित प्रतिस्पर्धा का भाव भी जगा दिया था। कच के द्वारा देवयानी का प्रेम निवेदन अस्वीकृत कर देने के पश्चात् देवयानी के स्वभाव में अति रुष्टता आ गयी थी और इसका सबसे अधिक शिकार शर्मिष्ठा बनी। दोनों के बीच की एक छोटी-सी लड़ाई को देवयानी के स्वार्थ और क्रोध ने ऐतिहासिक घटनाक्रम में बदल दिया। यहीं इन दोनों की कहानी में हस्तिनापुर के क्षत्रिय राजा ययाति का प्रवेश होता है, जिससे परम्परा के उलट जाकर देवयानी ने विवाह किया था और अपने पिता के प्रभावों का इस्तेमाल करते हुए शर्मिष्ठा को अपनी दासी बनने के लिए मजबूर किया। अपने पिता के वंश को बचाने के लिए शर्मिष्ठा देवयानी की दासी बनना स्वीकार कर लेती है। यहाँ से शर्मिष्ठा की ज़िन्दगी के नये पन्ने खुलते हैं, जिसमें ययाति के साथ प्रेम की कथा, उस प्रेम के प्रतिफल अपने पुत्र पुरु के जीवन हेतु हस्तिनापुर का त्याग एवं वन-विचरण की गाथा और बाकी तमाम वे संघर्ष हैं जो एक स्त्री को अपने पुत्र को अकेले पालते, बड़ा करते हुए हो सकते हैं।
शर्मिष्ठा पाण्डवों की पूर्वजा थीं जिनका मौलिक ज़िक्र ब्रह्मपुराण में मिलता है। असुर सम्राट वृषपर्वा की पुत्री शर्मिष्ठा बेहद सुन्दर और प्रतिभाशालिनी थीं। वह देवगुरु बृहस्पति के पुत्र कच, असुर गुरु शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी की हमउम्र थीं और उनकी मित्र भी। इन तीनों की मित्रता गुरु शुक्राचार्य के आश्रम में अध्ययन करते हुए प्रगाढ़ हुई थी जहाँ देवयानी का कच के लिए झुकाव भी उत्पन्न हुआ था। हमउम्री और परिस्थिति ने शर्मिष्ठा और देवयानी के बीच मित्रता के अलावा एक अन्तर्निहित प्रतिस्पर्धा का भाव भी जगा दिया था। कच के द्वारा देवयानी का प्रेम निवेदन अस्वीकृत कर देने के पश्चात् देवयानी के स्वभाव में अति रुष्टता आ गयी थी और इसका सबसे अधिक शिकार शर्मिष्ठा बनी। दोनों के बीच की एक छोटी-सी लड़ाई को देवयानी के स्वार्थ और क्रोध ने ऐतिहासिक घटनाक्रम में बदल दिया। यहीं इन दोनों की कहानी में हस्तिनापुर के क्षत्रिय राजा ययाति का प्रवेश होता है, जिससे परम्परा के उलट जाकर देवयानी ने विवाह किया था और अपने पिता के प्रभावों का इस्तेमाल करते हुए शर्मिष्ठा को अपनी दासी बनने के लिए मजबूर किया। अपने पिता के वंश को बचाने के लिए शर्मिष्ठा देवयानी की दासी बनना स्वीकार कर लेती है। यहाँ से शर्मिष्ठा की ज़िन्दगी के नये पन्ने खुलते हैं, जिसमें ययाति के साथ प्रेम की कथा, उस प्रेम के प्रतिफल अपने पुत्र पुरु के जीवन हेतु हस्तिनापुर का त्याग एवं वन-विचरण की गाथा और बाकी तमाम वे संघर्ष हैं जो एक स्त्री को अपने पुत्र को अकेले पालते, बड़ा करते हुए हो सकते हैं।
अणुशक्ति सिंह मूलतः बिहार के सहरसा जिले से वास्ता रखती हैं। ब्रॉडकास्ट मीडिया और कम्युनिकेशन से सम्बन्ध रखने वाली अण कछ सालों तक बीबीसी मीडिया एवं सुलभ इंटरनेशनल में काम करने के पश्चात् इन दिनों नीदरलैंडस में स्थित आरएनडब्ल्यू मीडिया के भारतीय उपक्रम 'लव मैटर्स इंडिया' में कार्यरत हैं। विगत दिनों में इनकी रचनाएँ आलेख, कविता और समीक्षा के रूप में दैनिक जागरण, आजकल, अहा ज़िन्दगी, समालोचन, जानकीपुल व अन्य पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। हाल में अणु ने तीन युवा लेखकों की किताबों का सम्पादन किया है। अंग्रेजी में नवोदित लेखक रॉबिन शर्मा की पुस्तक 'इन सर्च ऑफ लव' एवं हिन्दी में राजपाल से प्रकाशित 'मैं से माँ तक' और प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित 'चिड़िया उड़' शामिल हैं।
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