Ashwatthama
Shortlisted | Book Awards 2021 | Translated into Hindi
Ashwatthama ()
अर्जुन को शस्त्रविद्या देते समय पिताश्री बहुधा गहन विचारों में डूब जाया करते। उनके मुख पर अनेक प्रकार के भाव आते-जाते रहते। आँखों में अनेक बार क्रोध झलक उठता। शब्द-भेदी बाण व अन्धकार में बाण चलाने की विद्या अर्जुन ने पिताश्री से ही प्राप्त की थी। सत्य कहता हूँ दिशाओ अर्जुन को लेकर सबके साथ पिताश्री का पक्षपाती व्यवहार मैं समझ नहीं सका। कठिन तप द्वारा ऋषि अगस्त्य से ब्रह्मास्त्र प्राप्त करने वाले द्रोणाचार्य, विद्या जिज्ञासु कर्ण को सूत पुत्र कहकर नकारने वाले भारद्वाज पुत्र द्रोण, अन्य शिष्यों से चुपचाप मुझे गूढ़तर विद्याओं का अभ्यास करवाते पिताश्री, निषादराज के पुत्र एकलव्य से गुरुदक्षिणा में अँगूठा माँग लेने वाले गुरु द्रोण, इन समस्त रूपों में कौन-सा सत्य रूप था गुरु द्रोण का, मैं कभी भी समझ नहीं सका। परन्तु राजकुमारों से गुरुदक्षिणा में द्रुपदराज को युद्ध में पराजित करने का वचन लेने वाले गुरु द्रोण को मैं आज समझ सकता हूँ। आज मुझे पिताश्री का अर्जुन से अधिक स्नेह का कारण समझ आ रहा है।
अर्जुन को शस्त्रविद्या देते समय पिताश्री बहुधा गहन विचारों में डूब जाया करते। उनके मुख पर अनेक प्रकार के भाव आते-जाते रहते। आँखों में अनेक बार क्रोध झलक उठता। शब्द-भेदी बाण व अन्धकार में बाण चलाने की विद्या अर्जुन ने पिताश्री से ही प्राप्त की थी। सत्य कहता हूँ दिशाओ अर्जुन को लेकर सबके साथ पिताश्री का पक्षपाती व्यवहार मैं समझ नहीं सका। कठिन तप द्वारा ऋषि अगस्त्य से ब्रह्मास्त्र प्राप्त करने वाले द्रोणाचार्य, विद्या जिज्ञासु कर्ण को सूत पुत्र कहकर नकारने वाले भारद्वाज पुत्र द्रोण, अन्य शिष्यों से चुपचाप मुझे गूढ़तर विद्याओं का अभ्यास करवाते पिताश्री, निषादराज के पुत्र एकलव्य से गुरुदक्षिणा में अँगूठा माँग लेने वाले गुरु द्रोण, इन समस्त रूपों में कौन-सा सत्य रूप था गुरु द्रोण का, मैं कभी भी समझ नहीं सका। परन्तु राजकुमारों से गुरुदक्षिणा में द्रुपदराज को युद्ध में पराजित करने का वचन लेने वाले गुरु द्रोण को मैं आज समझ सकता हूँ। आज मुझे पिताश्री का अर्जुन से अधिक स्नेह का कारण समझ आ रहा है।
प्रेरणा के. लीमडी जन्म : 26 जुलाई, 1944, मुम्बई (महाराष्ट्र) स्वयं के व्यवसाय से निवृत्ति 2005 में, लगभग 2008 से लेखन प्रारम्भ किया। कहानी संग्रह : अने रेत पंखी (गुजराती) गुजराती साहित्य परिषद् का 2010 का प्रथम पुरस्कार, लाल पतंग (गुजराती) नर्मदा सभा सूरत का 2010 का नन्दू शंकर पुरस्कार। उपन्यास : अश्वत्थामा (गुजराती) महाराष्ट्र राज्य गुजरात अकादमी का प्रथम पुरस्कार। गुजरात राज्य साहित्य अकादमी की ओर से पुरस्कार। / अनुवादक कविता गुप्ता जन्म : 17 अगस्त, 1968, पिलखुवा, उत्तर प्रदेश। 'यूँही नहीं रोती माँ' हिन्दी काव्य संग्रह प्रकाशित। कविता व कहानी : पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। दूरदर्शन व आकाशवाणी से कविता पाठ। पुरस्कार : गुजरात साहित्य संगम द्वारा झवेर चन्द मेघाणी पुरस्कार, पर्ल बर्क अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार। सामाजिक गतिविधियाँ : ट्रस्टी बादलपुर चैरिटी ट्रस्ट, ट्रस्टी मोहनलाल हरस्वरूप चैरिटी ट्रस्ट।
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