Akelepan Mein Bhee Ishq Soofi Hai
Nominated | Book Awards 2021 | Hindi Fiction
Akelepan Mein Bhee Ishq Soofi Hai
अकेलेपन में भी इश्क़ सूफ़ी है' हिन्दी के शिखर विचारक एवं कवि दुर्गा प्रसाद गुप्त का नवीनतम कविता संग्रह है यानी हिन्दी-उर्दू के जरखेज़ दोआब का अनेकवर्णी सब्ज़ा। यह संग्रह आज के सम्पूर्ण भारतीय जीवन को समेटने की प्रतिज्ञा करता हुआ गहन मानव प्रेम की प्रतिष्ठा करता है-माया से परे इश्क़ की दुनिया में लौटाता है वह मुझे बारबार। यहाँ इश्क की रोशनी है जो जीवन के सबसे अँधेरे कोनों और मनुष्य के आभ्यन्तर को भी दीप्त करती है। यहाँ हमारा जाना-पहचाना पड़ोस है, घर है, बेटियाँ हैं, चूल्हा और अदहन है। और साथ ही बनजारे हैं, गायब होते बच्चे, दाना माँझी और शाम-ए-अवध है। और एक विलक्षण कविता है 'विराम चिन्ह' जो अकेली ही कवि की अमरता का जयघोष है। शायद ऐसी कविता पहले लिखी ही नहीं गयी। - अरुण कमल
अकेलेपन में भी इश्क़ सूफ़ी है' हिन्दी के शिखर विचारक एवं कवि दुर्गा प्रसाद गुप्त का नवीनतम कविता संग्रह है यानी हिन्दी-उर्दू के जरखेज़ दोआब का अनेकवर्णी सब्ज़ा। यह संग्रह आज के सम्पूर्ण भारतीय जीवन को समेटने की प्रतिज्ञा करता हुआ गहन मानव प्रेम की प्रतिष्ठा करता है-माया से परे इश्क़ की दुनिया में लौटाता है वह मुझे बारबार। यहाँ इश्क की रोशनी है जो जीवन के सबसे अँधेरे कोनों और मनुष्य के आभ्यन्तर को भी दीप्त करती है। यहाँ हमारा जाना-पहचाना पड़ोस है, घर है, बेटियाँ हैं, चूल्हा और अदहन है। और साथ ही बनजारे हैं, गायब होते बच्चे, दाना माँझी और शाम-ए-अवध है। और एक विलक्षण कविता है 'विराम चिन्ह' जो अकेली ही कवि की अमरता का जयघोष है। शायद ऐसी कविता पहले लिखी ही नहीं गयी। - अरुण कमल
जन्म : 5 जून, 1963 को जसईपुर, ज़िला बस्ती (उ.प्र.) में। शिक्षा : एम.ए. हिन्दी (प्रथम श्रेणी में प्रथम), एम.फिल., पीएच.डी., जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली। प्रकाशित कृतियाँ : आधुनिकतावाद, हिन्दी में दुर्गा प्रसाद गुप्त आधुनिकतावाद, आधुनिकतावाद और साहित्य, अपने पत्रों में मुक्तिबोध, संस्कृति का अकेलापन, सृजन का राग (आलोचना), आस्थाओं का कोलाज (रामशरण जोशी के लेखों का चयन व सम्पादन), नवजागरण की लघु-पत्रिकाएँ और लघु-पत्रिकाओं का नवजागरण, मध्यवर्ग, हिन्दी उर्दू हिन्दुस्तानी और मंगलेश डबराल एवं कर्मेन्दु शिशिर पर कार्यरत । विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लगातार लेखन। जहाँ धूप आकार लेती है (कविता संग्रह)। सम्मान : सरस्वती रत्न सम्मान, उद्भव सम्मान, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त गरिमा सम्मान, डॉ. रामविलास शर्मा आलोचना सम्मान। सम्प्रति : जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर एवं पूर्वअध्यक्ष।
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