वज्रांगी (Vajrangi)
Nominated | Book Awards 2019 | Hindi Fiction
वज्रांगी (Vajrangi)
वजरंगी वीरेन्द्र सारंग उल्टी धारा किन्तु सही दिशा में बाकायदा तैरनेवाले कथा शिल्पी काशीनाथ सिंह जी को आदर एवं सम्मान सहित कभी-कभी ऐसा होता है कि कोई कार्य समय अधिक खपाता है। निश्चित रूप से वज्रांगी के साथ भी ऐसा ही हुआ है। उपन्यास के पात्र एवं घटनाएँ काल्पनिक हैं। बहुत लोग हैं जो रामायण-कालीन घटनाओं को कल्पना की श्रेणी में रखते हैं।...लेकिन उस काल की अनुभूतियाँ, संवेदनाएँ, व्यवहार, मानसिकता? मुझे लगता है कि यदि कुछ खास घटनाएँ घटी होंगी तो निश्चित ही ऐसी स्थिति रही होगी। उपन्यास पहचान की परिस्थितियों से परिचित करता है। अध्ययन करते...सोचते-विचारते मुझे अनेक खुले द्वार दिखे। मुझे दिखा दो संस्कृतियों का युद्ध। मैंने एक प्रयास किया है कि द्वार में प्रवेश कर बिना संकोच एक यात्रा करूँ और मानसिकताओं के चित्र एकत्र करूँ। इस दौरान संवेदनाओं ने मुझे खूब छकाया, मानसिकताओं ने थका मारा और तब लगा कि अवश्य ही तमाम कल्पनाएँ हुई होंगी जो रक्त में समा गई हैं। या स्वभाव बन गई हैं। अवश्य ही दो कोण आपस में मिल गए हैं।...और शायद यही कारण है कि हमारी हस्ती मिटती नहीं है। कथा में बेवजह की कल्पना हेतु स्थान नहीं है और अकल्पनीयता से परहेज किया गया है। शायद मैं सफल हुआ होऊँ कि परतें खोल सकूँ और अनेक प्रश्नों के उत्तर दे सकूँ। यदि ऐसा हुआ है तो निश्चित ही मेरा श्रम सार्थक हुआ है। - वीरेन्द्र सार
Born: January 12, 1959
जन्म : 12 जनवरी, 1959, उत्तर प्रदेश के जमानियाँ, गाजीपुर में।
हिन्दी के जाने-माने कवि-कथाकार हैं। उन्होंने घुमक्कड़ी और स्वतंत्र लेखन के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी कार्य किया है।
प्रकाशित कृतियाँ : उनके तीन कविता-संग्रह—'कोण से कटे हुए’, 'हवाओ! लौट जाओ’, 'अपने पास होना’ और दो उपन्यास—'वज्रांगी’ और 'तीसरा बच्चा’ प्रकाशित हुए हैं। 'हाता रहीम’ उनका तीसरा उपन्यास है।
सम्मान/पुरस्कार : वीरेन्द्र सारंग को गद्य के लिए महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान, कविता के लिए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का विजय देव नारायण साही पुरस्कार, भोजपुरी शिरोमणि अलंकरण एवं प्रेमचन्द स्मृति सम्मान प्राप्त हुए हैं।
वे लखनऊ में रहते हैं।
सम्पर्क : मो. : 09415763226
ई-मेल : virendrasarang@gmail.com
Review वज्रांगी (Vajrangi).