एकदा भारतवर्षे
Nominated | Book Awards 2020 | Hindi Non-fiction
एकदा भारतवर्षे
यह एक त्रासदी है कि कुछ कहानियाँ अनकही रह जाती हैं, प्रमुख कथाओं और जटिल वास्तविकताओं के कोलाहल में खो जाती हैं। कश्मीरी हिंदुओं की कहानी ऐसी ही एक कहानी है। जब यह उपन्यास जुलाई 2018 में मूल रूप से कन्नड़ में प्रकाशित हुआ था, तब धारा 370 लागू थी। अब, इसके निरस्त होने के बाद भी, उपन्यास बहुत प्रासंगिक है। कश्मीर की सृष्टि और प्रगति का परिचय, उसके सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक आयामों से कराते हुए, यह उपन्यास न केवल कश्मीर के समकालीन और ऐतिहासिक दोनों चित्रों की कल्पना करता है, बल्कि सनातन धर्म और सम मतों के अंतर्निहित दर्शन की भी छानबीन करता है। यह आवश्यक है कि आनेवाले दिन कश्मीर के लिए आशावाद से भरे हों। साथ ही कश्मीरी हिंदुओं की दुर्भाग्यपूर्ण कहानी को जानना भी उतना ही आवश्यक है, जो अपनी मातृभूमि से बेदखल किए गए हैं। यह उनकी कहानी है। यह कश्मीर की कहानी है।
हेमंत शर्मा जन्म और संस्कार से खाँटी बनारसी। व्यक्ति, समाज, प्रकृति, उत्सव, संस्कृति का ज्ञान इसी शहर में हुआ। शब्द, तात्पर्य और धारणाओं की समझ वहीं गाढ़ी हुई। पंद्रह साल तक जनसत्ता के राज्य संवाददाता रहने के बाद दो साल ‘हिंदुस्तान’ लखनऊ में संपादकी की। फिर लंबे अर्से तक टी.वी. पत्रकारिता। अब दिल्लीवास, लेकिन बनारस कभी नहीं छूटा। अयोध्या मुद्दे पर सबसे प्रामाणिक पुस्तकों ‘युद्ध में अयोध्या’ और ‘अयोध्या का चश्मदीद’ के लेखक। व्यवस्थित पढ़ाई के नाम पर बी.एच.यू. से हिंदी में डॉक्टरेट। लिखाई में समकालीन अखबारी दुनिया में कलम घिसी। कितना लिखा? गिनना मुश्किल है। ‘भारतेंदु समग्र’ का संपादन किया। कैलास-मानसरोवर की अंतर्यात्रा कराती पुस्तक ‘द्वितीयोनास्ति’ बहुचर्चित। एक अन्य पुस्तक ‘तमाशा मेरे आगे’ बकौल डॉ. नामवर सिंह की भाषा में इनके हँसमुख और शरारती गद्य की अभिव्यक्ति है। उत्तर प्रदेश सरकार के सर्वोच्च पुरस्कार ‘यशभारती’ से सम्मानित। राजनीति, समाज, परंपरा को समझने और पढ़ने का क्रम अब भी अनवरत जारी। इनके लेखन में आपको व्यक्ति, समाज, इतिहास, साहित्य और संस्कृति के सूत्र मिलेंगे। पहले लेखन को गुजर-बसर का सहारा माना, अब जीवन जीने का। ऐसे ही सफर जारी है। चिट्ठी का पता: जी-180, सेक्टर 44, नोएडा। hemantmanusharma@gmail.com.
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