The Murals of India: An Illustrated Talk
VoW 2020 / Sessions / November 21 / The Murals of India: An Illustrated Talk
VoW 2020 | November 21 – 1:45 pm to 2:45 pm | Savoy State Room | Miscellaneous
The Murals of India: An Illustrated Talk
Benoy K Behl
Report
Date – 21 / 11/ 2020
Session no. – 30, Misc-4, The Murals of India: an illustrated talk
वर्ष 2020 में कोविड-19 के कारण ‘वैली ऑफ वर्ल्डस, अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला’ के चतुर्थ महोत्सव का आयोजन मसूरी में वर्चुअल तरह से हो रहा है। जिसमें सहर्ष सभी लोग विभिन्न कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में पहले दिन सफलतापूर्वक पूर्ण होने के पश्चात, दूसरे दिन और भी कई कार्यक्रमों का हर्षोल्लास से पूर्ण आयोजन किया गया। दिन के मध्यान्ह में ‘ मुरल्स ऑफ इंडिया: एन इलस्ट्रेटेड टॉक’ नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
‘वैली ऑफ वर्ल्डस’ के संस्थापक द्वारा इस विशाल उत्सव में प्रसिद्ध भारतीय वृत्तचित्र, कला इतिहासकार एवं उत्कृष्ट फोटोग्राफर ‘ बिनॉय के बहल ‘ को बुलाया गया। जो भारत एवं एशिया की कला विरासत के दस्तावेजीकरण में अपने अव्वल कार्य के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अपने द्वारा कैमरे में संजोए गए कुछ अनमोल पलों व अंतःकरण में छिपी हुई कई गहराइयों का बहुत ही सहजता पूर्वक वर्णन किया।
‘ जीवन एक कला है और वह कला हमारी प्राचीनता में वास करती है’ इन मधुर वचनों के साथ ‘ बिनॉय के बहल ‘ ने ‘ द मोरल ऑफ इंडिया: एन इलस्ट्रेटेड टॉक में अपनी प्रस्तुति आरंभ की। उन्होंने इस मध्यान्ह सत्र में प्राचीनता से प्रेरणा लेने व उसे संजोए रखने हेतु लोगों को शिक्षा दी। उनके द्वारा संजोए गए विगत वर्षों की तस्वीरों को उन्होंने सभी के समक्ष प्रस्तुत किया। उनमें छिपी छोटी-छोटी बारीकियों, शिक्षाओं को अंतःकरण में समाहित करने का संदेश देकर सभी से विनम्रता पूर्वक उनको ग्रहण करने को कहा। उन्होंने आर्ट ऑफ इंडिया, स्कल्पचर एंड मुरल पेंटिंग, प्राचीन काल एवं मध्य काल के चित्रों के साथ-साथ, अपने फोटोग्राफी के लंबे सफर के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। अंत में विभिन्न दशकों के चित्रों को दर्शा कर उनसे एकता, विनम्रता, सामंजस्य, दृष्टिकोण, दया, करुणा, सज्जनता व शांति आदि गुणों को अपने भीतर संजोए रखने की शिक्षा दी व बौद्ध, जैन और हिंदू संस्कृति को कलाओं की खान कहकर अपनी बात को समाप्त किया। सभी को भारत की प्राचीनता का प्रत्यक्ष रूप दिखाकर, उनको अपनी संस्कृति व सभ्यता पर गर्व करने का उन्होंने पूर्ण प्रयास किया । – Purusharth Kumar