Publishing: Present Tense
VoW 2020 / Sessions / November 20 / Publishing: Present Tense
VoW 2020 | November 20 – 2:45 pm to 3:45 pm | Savoy Post Office | Miscellaneous
Publishing: Present Tense
Trisha De Niyogi and Kapil Kapoor with Tania Saili Bakshi
Report
Session 12, Misc-2
Publishing: Present Tense
वैली ऑफ वर्ड्स के प्रथम दिवस में तानिया बख्शी, तृषा नियोगी और कपिल कपूर के द्वारा वर्तमान परिस्थितियों में किताबों के प्रकाशन मे आ रही समस्याओं के बारे में अपने अपने विचार रखे गए।
जब कोरोना महामारी के समय में लेखको, प्रकाशकों या संपादकों के आत्मविश्वास में आई कमी पर बात हुई, तब कपिल कपूर ने कहा कि लेखेको, प्रकाशकों एवम् सम्पादको मे आत्मविश्वास की कहीं ना कहीं कमी आई है, क्योंकि मार्च में सब कुछ ठीक था और मार्च अंत तक आते-आते अचानक से सब कुछ इस महामारी के चलते बंद हो गया।सारे बुक स्टाल बंद हो गए।साथ ही जितने भी पुस्तकों की डिजिटल साइट थी वह सब भी बंद हो गई। कोई भी प्रकाशक अपनी बुक कहीं पर भी प्रकाशित नहीं कर पा रहा था और लेखक लिख नहीं पा रहे थे। लेखेको ने लिखना बंद किया क्योंकि किताबो की सप्लाई नहीं हो पा रही थी। तो इस कारण से सभी मे कहीं ना कहीं आत्मविश्वास में कमी आई, लेकिन अब जो है बुक्स की सप्लाई बढ़ी है और स्टोर खुले हैं इससे निश्चित् ही अब हौसला बढेगा और एक दो महीने में ही वक्ता की किताबों का विमोचन होने जा रहा है जिसमें एक इंडियन बैंकिंग को लेकर है और अब तक भारतीय बैंक में क्या क्या बदलाव आए हैं? क्या-क्या तकलीफों का सामना करना पड़ा है? इन सब के बारे में किताब में बताया गया है। एक किताब और आने जा रही है।उक्त किताब में दलाई लामा पर आधारित कुछ ऐसी बातें हैं जो किसी ने नहीं देखी है। इस किताब के लेखक वह खुद भी हैं जो उनके साथ रहे उनके निजी सचिव हैं।
जब बुक स्टाल के भविष्य पर बात हुई तब विचार वक्ताओ ने कहा कि बुक स्टाल का अस्तित्व समाप्त नहीं हो सकता क्योंकि भारत में जितने भी लोग रहते हैं वह भावनात्मक रूप ऐ कागज से जुड़े है,और किताब से पढ़ने में ज्यादा यकीन रखते हैं। किसी भी किताब को हाथ में लेकर पढ़ना और मोबाइल पर स्क्रीन पर देख कर पढ़ने में बहुत अंतर होता है और कहीं ना कहीं यह चीज एक मिथ्या है की बुक स्टोर की जगह कोई भी डिजिटल साइट कोई भी ई साइट नहीं ले सकती।
वहीं दूसरी और कपिल कपूर जी का यह कहना था कि कोरोना के चक्कर में लोग बाहर निकलने से डर रहे थे, बुक स्टाल में कम जा रहे थे, इसीलिए उन्होंने साइट का सहारा लिया बुक्स को पढ़ने के लिए, लेकिन अब जैसे ही स्थिति में सुधार आ रहा है लोग घरों से निकल रहे हैं, अब जल्द ही सब ठीक हो जाएगा। किताबें छपेगी भी, लोग पढ़ेंगे भी।