Mushaira مشاعرہ
VoW 2020 / Sessions / November 21 / Mushaira مشاعرہ
VoW 2020 | November 21 – 6:10 pm to 7:00 pm | | Miscellaneous, Poetry
Mushaira مشاعرہ
Presided by S Farooq and Compered by Asif Azmi
Introduction
Pawan Kumar, Alok Yadav, Dr Nausha Asrar, Aziz Nabeel, Mumtaz Nasim, Suhaib Farooqui, Meenakshi Raj, Rizwan Farooqui
Report
Misc-4, Mushayara
“मुशायरा”
मसूरी में तीन दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय कला एवं साहित्य उत्सव : वैली ऑफ वर्ड्स का आयोजन 20 से 22 नवंबर तक किया जा रहा है | इस कार्यक्रम में कुल 65 सेशन्स को जोड़ा गया है| जिनमें से “मुशायरा” सेशन को 21 नवंबर, 19:00 बजे से 20:00 बजे के बीच सुहेब फारूकी की अध्यक्षता में संपन्न किया गया | कार्यक्रम के सूत्रधार आसीफ़ आज़मी थे और कार्यक्रम का संचालन अज़ीज़ नवील कर रहे थे |
“मुशायरा” उर्दू-फारसी का एक कवि सम्मेलन होता है | जिसमें कुल सात शायर व शायरा शिरकत कर रहे थे | अज़ीज़ नवील, रिजवान फारुकी, मीनाक्षी राज, मुमताज नसीम, नौशा असरार, पवन कुमार, सुहेब फारुकी ने अपनी-अपनी उम्रों, तजुर्बें और इ’ल्मों को ऑनलाइन दर्शकों के साथ साझा किया | सभी ने एक पर एक दमदार शेर पढ़े व एक दूसरे की खूब वाहवाही की और इंतिहा शेर पर दाद भी बटोरे | कारवां यूं ही चलता रहा, समय ढलता रहा, महफिल जमती रही… इस दौरान रिजवान फारूकी ने शेर पढ़ा..
“खुदा को भूल गए लोग इज्जतें पाकर
जमाना देख ले हम खुश हैं जहमतें पाकर”
वहीं मीनाक्षी राज ने कई नज्में पढ़ीं | हालांकि नज़्मों को मुशायरा में कम ही पढ़ा जाता है | अजीज नवील जो कि खुद ही कार्यक्रम को संचालित कर रहे थे, उनकी भी बारी आई और उन्होंने कुछ इस कदर रूहानी शेर पढ़ा-
“ख़ामोशी टूटेगी, आवाज का पत्थर भी तो हो,
जिस कदर शोर है अंदर बाहर भी तो हो”
मुमताज नसीम ने अपने महबूब बतौर दुनिया को कोसते हुए यह शेर पढ़ा-
“तुझे कैसे इल्म ना हो सका
बहुत दूर तक यह खबर गई”
फिर पवन कुमार जो कि हिंदी से ताल्लुक रखते हैं उन्होंने भी उर्दू के शेर पढ़ें | नौशा असरार ने अपने शेर से एक अलग ही समा बांधा | अंत में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉक्टर सुहेब फारुकी ने यह शेर कहते हुए कार्यक्रम के अंत को अंजाम दिया-
“कुछ हम भी बनाए तेरे बिगड़े हुए काम
ए खाक-ए-वतन तुझ से बने हैं हम भी” -By Rupesh Kumar